Saturday, January 10, 2015

चांद भी छिप जाता है उसके मुस्कराने से,

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चांद भी छिप जाता है उसके मुस्कराने से,
दिन भी ढल जाता है उसके उदास हो जाने से,
क्यों वो नहीं समझ पाते है हाल-ए-दिल मेरा,
कि जीना छोड़ देते हैं उसके रूठ जाने से !!

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