चांद भी छिप जाता है उसके मुस्कराने से, Posted on January 10, 2015 0 चांद भी छिप जाता है उसके मुस्कराने से, दिन भी ढल जाता है उसके उदास हो जाने से, क्यों वो नहीं समझ पाते है हाल-ए-दिल मेरा, कि जीना छोड़ देते हैं उसके रूठ जाने से !! Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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