"मुरझा गए फूल खिलकर हसरतों के, Posted on January 10, 2015 0 "मुरझा गए फूल खिलकर हसरतों के,नाकाम हुए सपने हमारी मुहब्बतों के,दुनियां "लोग अपना बना के छोड़ देते हैं, छिन लिया मुझसे यार मेरा,मुझे याद आ रहे हैं दिन कुरबतों के." Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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