शायर-ए-फ़ितरत हूँ म Posted on January 08, 2015 0 शायर-ए-फ़ितरत हूँ मैं जब फ़िक्र फ़र्माता हूँ, तो रूह बन कर ज़र्रे-ज़र्रे में समा जाता हूँ, आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ, जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूँ !! Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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